फोकट के बिजली ल तोरे घर मे राख

फोकट के बिजली ल तोरे घर मे राख

छतीसगढ़ काँग्रेस के प्रभारी नारायण सामी के कहना हे कि अगर छतीसगढ मे काँग्रेस के शासन आही ते किसान मन ल फोकट मे बिजली दिही । हमन ह दिगविजय सिँ...
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सारी

सारी

आजकल रोज सरी बिहनीया अ‍उ संझा दानेश्वर बबा के कविता ला पढत हव बने सुघ्घर लिखे हवय !! आज पढव उंकर एक ठीन रोमांटिक गीत अपन सारी बर ॥ मोर सारी ...
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मोर कुंवर कन्हैया...!

जन्माष्टमी के पावन बेरा मा...परसतुत हे॥ श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें .... मोर ...
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अपन गोठ...

अपन गोठ...

सुकवि बुधराम यादव जी के रचित थोरकुन गीत, कविता, जागरण गीत , मुक्तक , साखी के गुरतुर-गोठ अउ मनोरथ के माध्यम से आप मन अवलोकन करेव । ये सब म...
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तपत कुरु भ‍इ तपत कुरु

संजीव भैय्या के किरपा अ‍उ परयास के फ़लस्वरुप एक ठीन किताब हाथ लग गे हे नाम हाबे "तपत कुरु भई तपत कुरु " अ‍उ एखर लिखैय्या हाबे प्रसी...
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मुक्तक..

मुक्तक.. पर के पीरा हा जेकर हिरदे मा जनावत हे पर के पीरा ल जौन अपन कस बनावत हे ! ऐसनहा मनखे, मनुख नोहय देवता ये पर के पीरा हरत जौन जनम प...
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साखी....

साखी .... एक झन के जन्माये एक अँगना मा खेलेन बाढें ! हिन्दू सिख ईसाई मुल्ला फेर कैसे बन ठादें !! जनधन पाके अतियाँवय अउ पद पाके गरुवाय...
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नयना नीर भरे

नयना नीर भरे कोई फिर ना झरे नाही कोई किसी को छले आओ सबसे से मिले गले..... इस चमन में अमन की वो गंगा बहे जन गण सदियों सलामत औ चंगा रहे धरा ध...
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छत्तीसगढ़-गौरव

हमर देस ये हमर देस छत्तीसगढ़ आगू रहिस जगत सिरमौर। दक्खिन कौसल नांव रहिस है मुलुक मुलुक मां सोर। रामचंद सीता अउ लछिमन, पिता हुकुम से बिहर...
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दमांद बाबू दुलरू

एक गांव मा एक बनिया रहत रहिस । ओखर मन करिस त वो ह परदेस कमाय बर निकल गिस । दूसर देश म जाके बनिया ह गजबेच्चओ धन कमाईस । फेर धन के भोरहा म वो...
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धर ले कुदारी

धर ले कुदारी

धर ले रे कुदारी गा किसान आज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे । ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च बर परही चलौ चली बड़े बड़े ओदराबोन खरही झुर...
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मोर भाखा

मोर भाखा

मोर भाखा सँग दया मया के सुग्घर हवै मिलाप रे । अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा, कऊनो सँग झन नाप रे ।। येमा छइहाँ बम्हलई देबी, बानबरद गोर्रइयाँ के ...
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तैं ह आ जाबे मैना

तैं ह आ जाबे मैना

तैं ह आ जाबे मैना उड़त उड़त तैंह आ जाबे । मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना, बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना मन के मया संगी तोला ...
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जागरण गीत

भाई समीर यादव जी ह हमर धरती के मया म सुकवि बुधराम यादवजी के ये जागरन गीत गुरतुर गोठ के संगी मन बर भेजे हे । जागौ किसान जागौ जवान हमर छत्‍ती...
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महर महर महकय माटी

............ महर महर महकय माटी......... महर महर महकय माटी मोर लहर लहर लहरावय धान ! खेत मेढ़ मा ठाढे मगन मन मुचुर मुचुर मुसकावय किसान !! ...
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तैं भले बिसर दे

..................... तैं भले बिसर दे .............. तैं भले बिसर दे मोला गियां, तोर सुरता गजब आवत हे ! घरी घरी दिन छिन पल पल, मोर जियरा ल ...
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संगी-साथी