दीपक भाई के बिदेस म रहि के देस के, माटी के मया अउ इज्जत ल हमर सलाम ।
संत कवि पवन दीवान की हस्तलिखित कविता
भाई दीपक शर्मा जी हा पाछू महीना अपन गांव राजिम आये रहिस त छत्तीसगढ के जाने माने कवि संत पवन दीवान मेर आसिरबाद लेहे ल गे रिहिस । भाई के मया अउ परेम म संत कवि पवन दीवान जी हा तुरते अपन हाथ ले एकठन कबिता लिख के गुरतुर गोठ के असिरबाद बर दीस । ये कबिता ला हम आपमन के खातिर इंहा परस्तुत करत हन ।
दीपक भाई के बिदेस म रहि के देस के, माटी के मया अउ इज्जत ल हमर सलाम ।
दीपक भाई के बिदेस म रहि के देस के, माटी के मया अउ इज्जत ल हमर सलाम ।
दीवान जी महराज ला औ दीपक महराज गाडा गाडा बधाइ
ReplyDelete" really appreciating efforts to make availabe hand written poetry by Sant pawan jee. thanks deepak jee"
ReplyDeleteRegards
ए आशा त बांधे जा सकत हे के गुरतुर गोठ छ्त्तीसगढ अउ छ्त्तीसगढी के परती अपन जिम्मेदारी ला पुरा कर अपन दमदारी के साथ अपन अस्तित्व ला प्रगट करही !!
ReplyDeleteगुरतुर गोठ के बाना धरैया मन ला एखर खातिर
ReplyDeleteखूब जतन करे ला परही...ए रचना संग्रहण बर ..साधुवाद..!
.अउ मिहनत बर ...शुभकामना कहिलव.
वाह ये तो सुघ्घर हावय गा।
ReplyDeleteदीवान जी ने तो इसे एक चित्र गीत जैसा लिखा है अपन बचपना के दिन में पहुँच गे रहव
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