छपास ले मन भले भरत होही पेट ह नई भरय

इंटरनेट म हिन्दी अउ छत्तीसगढी के भरमार ल देख के सुकालू दाऊ के मन ह भरभरा गे वोखर बारा बरिस पहिली कोठी म छाबे भरूहा काडी ल गौंटनिन मेंर हेरवाइस, तुरते सियाही घोरे ल कहिस गौंटनिन कहे लागिस का गौंटिया तोर सियाही घोरे के किस्सा तोर बहिनी भाई मन बिक्कट करथे जब तुमन छोट कन रेहेव त हमार सास चोरभठ्ठिन ल बड पदोवव, हंउला हंडा म सियाही घोरे ल कहव उहू ह कम पर जही कहि के रोवव अब फेर मोर मेर घोरवाहू का सियाही ल.

जईसे तईसे सुआंरी के मुह ला बंद करा के लईका के सियाही के बोदल म भरूआ काडी ल बोरिस अउ का लिखव का लिखव कहि के सोंचे लागिस भरूहा काडी के सियाही सुखा गे फेर का के जवाब नई सूझिस.

बारा बछर पहिली के मन भौंरा अब नई नाचे ल करे, रहे सहे लिखे के समरथ ओखर मंत्री कका के समाजवादी सोंच ल बेगारी म टाईप कर कर के अउ अरथ ल गुन गुन के, अपन खातिर कानून के बडका बडका पुस्तक मन ला चांट चांट के चकबका के कुंदरू बन गे हे खाली पक्षकार, आवेदक, अनावेदक, धारा, यह कि .. . के सिवाय अउ कुछू बर दिमाक चलय नही.

थोर बहुत बांचे आशा ल अउ लिखईया मन बर सुकालू दाऊ के हिरदे म बसे सम्मान ल दिल्ली के राजस्थानी एक झिन अडबड बडका हास्य कवि जउन हा सातवां नंबर के अंगरेजी अकछर टीवी म सब झिन ल हंसाथे, तउन ह टोर दिस. उहू काबर कि ओखर एक झिन अउ बडे कवि (वो टीवी में अवईया सबे तुकबंदी करईया मन ह कवि हो जथे अउ कवि मन ह बडे हो जथे पईसा के खेल हे भाई) अरे हां त वोखरो ले बडका कवि के गोड ह सुकालू दाऊ के सियानी म चलत पांच चंदैनी वाले होटल के चिक्कन फर्रश में बिछल के, लचक गे. गलती काखर हे ये मैं नई कहंव फेर सुकालू दाऊ ह तुरते ओला जउन हो सकथे तउन तुरत फुरत डक्टर ल बला के वोखर इलाज करवाईस, वोखर सेवा म अपन जम्मों चाकर मन ल लगा दिस. वो बिचारा सुकालू दाऊ ला अडबड अशिष दीस. सांझ कन मंत्री महोदय के चम्मच के आदेश ले कबि सम्मेलन बर फोकटौंहा म दस ठन दू दू हजार रुपिया दिन के दिहे सुकालू दाऊ के कमरा ले बने खा पी के दिल्ली वाले कबि महराज सुकालू दाऊ ला अइसन चमकायिस कि वोखर पुरखा कबिता वाले मन के तीर म जाना छोड दिही, अईसन विद्रूप अउ शोषण के विरूद्ध बोलईया मन ला तोरे खटिया तोरे बेटिया . . . करत देख के वोखर मन ह भर गे, कि अब नई लिखव सिरतोन में मोर गौंटनिन संही कहिथे नेता ले बडे झुठ्ठल्ला हो गे हें लिखईया मन ह. लिखथे कुछ करथें कुछ. फेर नेट ल देख देख के नवां नवां उदंत भाई मन के, लेख अउ उखर प्रोफाईल म उखर बारे म सूंघे के परयास कर कर के भरम के बादर छटत गिस.

अईसनहे समय म सुकालू दाऊ के मन ह कहिस, बाबू थोरकिन धीर धर ले, पहिली पढे लईक जिनिस मन ला पढ ले, गुन ले, अभी भरूहा कांडी धरईया मन ह का अउ कोन, बिसे में कुरू चारा बांटत हे, तेला पहिली समझ तो ले. फेर लिखे ल धरबे, फेर तोर भरूआ काडी के जमाना तो सिरा गे हे, तईहा के बात ल बईहा लेगे तईसनेहे. जेमा तैं ह लिखना चाहत हस तिहां की बोरड के कलम अउ यूनीकोड के सियाही घोरे ल परही.

अईसे करत करत दिन ह पहाये लागिस अब रोजे सुकालू दाऊ, आफिस म हिन्दी अउ छत्तीसगढी के गियान ल खोजय ओला अपन ताबिज पेन डराईभ म सकेलय अउ घर आके फुरसदिया पढय, अइसे म सुकालू दाऊ ला अढबड बेरा लगय. वोखर गौंटनिन कहय का जी तुहर कम्प्यूटर तो मोर सौत ये, मोर तीर गोठियाय बोले के टेम तुहांर तिर नई ये सिरिफ खटर खटर म लगे रथो अइसनहे अउ दू चार दिन चलही त तुहंर जम्म्मो कहिनी किस्सा गीत ददरिया ल शिवनाथ म सरोये रेहेंव तईसनेहे कम्प्यूटर ल सरो देहूं .सुकालू दाऊ मारे डर के उहू काम ल छोड दिस कम्प्यूटर रहिही तभे, चुपे चाप मोर मानस ह सप सप करत जीयत रहिही.

सुकालू दाऊ अउ वोखर गौंटनिन के लरई ल वोखर परोसी मस्टरिन टूरी ह (जउन ह सुकालू दाऊ के बेटा ला टिउसन पढावय तउन ह) रोज सुनय. एक दिन टीबी वाले बाइ के इस्टाइल म कहिस गौंटनिन तुमन गौंटिया ल जउन काम करत हे तउन ल करे ले मत रोकव, देश हा अडबड उन्नति कर डरे हे गौंटिया के लिखई पढई ल तुमन बंद मत करव. वो ह इंटरनेट म हिन्दी खोजथे वोला खोजन दव. देखव तुहर गुड्डू ह रोज नवां कम्प्यूटर लेहे ल गौंटिया ल कहत हे, फेर तुमन ओला नई दे सकत हव वुही जुन्नटहा मसीन म वो ह गेम खेलत हे, अउ अपन ममा के लेपटाप म अपन नजर गडियाये हे.

हिन्दी अउ छत्तीसगढी म इंटरनेट म अडबड काम होवत थे, ये समझ लेवव कि राहत कार्य खुले हे, काम करे बर सब्बो झिन ल झारा झारा नेउता हे. हमर छत्तीसगढिया भाई इतवारी ह रतलाम ले अउ शुकुल महराज ह अमरिका ले गियान बांटत हे. अउ अडबड झिन हे दाई एक ले बड के एक छत्तीसगढी म परकाश भाई रईपुर ले अउ तुंहर कोरबा वाले पिरिंसपल दीना ममा ससुर के मितान कनहईया तिवारी ह बेलासपुर ले खटर पटर करत हें अउ बलाग लिखईया मन ला ईनाम देवईया हे कोन जाने तोर गौंटिया ल कोनों चिन डारही अउ मोर कपिला भांचा ल कुछुच तो दान दे डारव, अगले जनम ल सुघ्घर करे बर कहि के, इनाम दे डारिस, त तोर गुड्डू बर नवां खेलवना आ जही, अउ तोर गौंटिया के पेपर म नाव तक छपही.

गौंटनिन ह पेपर म नाव छपई के बात ल सुनके जंग हो जथे, देख मस्टरिन येखर नाम ह मोर बिहा के आये के पहिली अडबड छपत रहिसे. ओला देख पढ के मोर बाप ह येखर बर बिहा दिस. फेर येखर छपई ले हमर परिवार के पेट नई भरतिस गांव के गौंटी ल छोड के शहर आ गे हे. इहां अक्केल्ला रहिसे त खर्चा कम रहिस, खाली छपास रोग ल धरे रहिस गांव के धान पान कतका दिन ले पुरही, इंखर बबा मालगुजार रहिस अब कईसे गुजारा चलत हे तउन ला तो तैं ह देखत हस.

अपन मालिक बर काम करे के टेम म कुटूर मुटूर की बोरड अउ कलम ल अपन खातिर चला के नमक हरामी नई करना हे दाई, न तो येखर तिर बिहनिया ९ ले रात कन ९ तक काम के सिवा टेम हे न तो ये हर सरकारी दमांद हे, जउन डिउटी टेम म सेटर गुंथई, चेटिंग करई अउ साहित्य लिखे बर ससुर ह तनखा दे दिही. बडे बडे झंडाबरदार बाना धरईया, अतका किताब, ओतका किताब ये इनाम वो सनमान पवईया मन ह अपन डिअटी टेम म कतको छत्तीसगढ, छत्तीसगढी, हिन्दी, अंतरजाल के सेवा कर लैं अउ वहवाही लूट लैं मोर समझ में ये ह अपन काम ले बेईमानी करे के नवां आदत ल बढावा देना ये.

तेखर सेती दाऊ ला बने मेहनत कर दाउ कहिथौं, छपास ले मन भले भरत होही पेट ह नई भरय अउ रहिस बात ईनाम पाये के, त मोला मोर गौंटिया के मेहनत म भरपूर बिसवास हे, वो ह अपन गियान ला अपन नौकरी धंधा म लगाही त मोर सातो पुरखा ल तार दिही.

गौंटनिन के ये बात ल सुन के मैं अउ मस्टरिन दोनों चुप हो गेन.

संजीव तिवारी
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