बढता नाविक क्षितिज के पार समुद्र की लहरें विशाल कलम जिसकी ताकत मानस की प्रतिबद्धता है उसकी ढाल. संजीव तिवारी
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Home / Archive for January 2010
अदा के लिये
सांसे जब तक धडकती रहे, नब्जो मे हो जब तक स्पन्दन, तुमको कलम और आवाजो को थामना ही होगा. कैसे तुम कह सकती हो शव्दो को अलविदा. संजीव ति...
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