जमुनिया के डार मोर टोर देव हो ।
एक जमुनिया के चउदा डारो, सार सबद लेके मोर देव हो ।
काया कंचन अजब पियाला, नाम बूटी रस घोर देव हो ।
सुरत सुहागिन गजब पियासी, अमरित रस में बोर देव हो ।
सतगुरू हमरे गियान जौहरी, रतन पदारथ जोर देव हो ।
धरमदास के अरज गुंसाई, जीवन के बंदी छोर देव हो ।
धनी धर्मदास
संत कबीर मठ, दामाखेडा
कबीरपंथ के छत्तीसगढ़ी साखा के सिरजन करईया धनी धर्मदास जी रहिन । इखर जनम मध्यप्रदेश के रींवा जिला के बांधवगढ़ में होये रहिसे । येमन सियानी उमर म तीरथ जातरा बर गीन अउ उहें मथुरा म इखर मुलाकात संत कबीर मेर होइस । कबीर के गियान ले धर्मदास हर मूर्तिपूजा ला छोड़ दीस अउ संत कबीर ला अपन घर बांधवगढ़ आये के नेउता दीस, सब्बो परिवार सहित उखर मेर कान फूंका लीस ।
सियान मन बताथे कि जब धर्मदास साहेब ह जिंखर कान फूंकाये के पहिली नाम जुड़ावन प्रसाद रहिस, बांधवगढ़ म संत समागम आयोजित करे रहिस औ उहां संत कबीर घलव उंखर नेवता म पधारे रहिसे । इही समे धर्मदास हर संत कबीर के बात मान के अपने पहिली गुरु रूपदास जी मेर असीस लेके अपन बाई सुलक्षणा देवी औ लईका नारायणदास अउ चूरामणि समेत कान फुंकवाईस । ओखर बाद सुलक्षणा देवी आमिन माता व चूरामनि, मुक्तामणि के नाम ले जाने गीस। संत कबीर ह धर्मदास ल सब्बो संपत्ति ल दान करे के बाद घलोक धनी किहके बलाईस तब से इनला धनी धर्मदास कहे जाथे ।
(ये बिबरन भाई संजीत त्रिपाठी के पतरा आवारा बंजारा ले ले गेहे अउ गीत भाई सुशील यदु के 1993 म परकासित कबिता संग्रह 'बगरे मोती' ले ले गे हे )
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