तैं ह आ जाबे मैना
उड़त उड़त तैंह आ जाबे ।
मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना,
बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना
मन के मया संगी तोला का बताववं ना
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....
पुन्नी के रात मैना चंदा के अँजोर
जुगुर-जागर चमकत हे गाँव के गली खोर
सुरता आवत हे तोर अँचरा के छोर
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....
पुन्नी के अँजोर सुवा बैरी होगे ना
दूसर बैरी मोर पाँव के पैरी होगे ना
छन्नर-छन्नर पैरी बाजय कइसे आवौं ना
मन के मया संगी तोला का बताववं ना ....
लहर-लहर पुरवाही झूमर गावै गाना
झिंगुर आभा मारै मोला, कोइला मारै ताना
मया मां तोर मैं बिसरायेवं अपन अऊ बिराना
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....
कवि मुकुन्द कौशल
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