रामशरण शर्मा मुंगेली की रचनायें

काम करो नित काम करो मत – जांगर पेरत मूड़ नवाई पथरा ले रस बाहिर तीरव – बंजर देवव सोन उगाई नीक रहो अउ ठीक रहो सब – खीक रहो मत जागहु भाई रे ...
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संगी-साथी