लाली देखन मैं चली, जित देखूँ तित लाल : कुमार ज़लज़ला


आज दिल्‍ली में आयोजित ब्‍लॉगर्स मिलन में पिक्‍चर स्‍टाईल में कुमार ज़लज़ला के आने की संभावना को देखते हुए उदय जी के पोस्‍ट में अमर कुमार जी नें टिप्‍पणी की है जिसमें सभी मिलने वाले ब्‍लागरों से उन्‍होंनें अपील की है कि वे सभी लाल टी शर्ट में सम्‍मेलन स्‍थल पर उपस्थित हों. आप भी देखें -


यदि महाशय प्रगट भी हो जायेंगे, तो क्या उपस्थित ब्लॉगर्स को दर्शन लाभ से मोक्ष मिल जायेगा ?
न जाने क्यों सिनिकल माइँड के एक स्पिल्ट परसॉनेलिटी को इतना महत्व दिया जा रहा है ?
अगर मेरी मानिये तो सभी लोग लाल टी-शर्ट पहन कर जायें ।
वह दिग्भ्रमित होगा और आप सब भी,
" लाली देखन मैं चली, जित देखूँ तित लाल " की जद्दोजहद से बच जायेंगे !
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11 टिप्पणियाँ:

  1. मैंने तो अपनी लाल कमीज़ निकलवा कर प्रैस करवा ली है

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  2. आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
    यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.

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  3. हिंदी ब्लोगिंग अब राई को पहाड़ बनाने तक सीमित रह गई है ।

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  4. कुमार जलजला
    मेरा तुमसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है...बात सिर्फ उसूलों की है...तुम्हारी टिप्पणियों से साफ़ है कि कुछ भी हो तुम्हारे लेखन में प्रवाह है, बांधने की ताकत है...फिर तुम क्यों पहचान छुपा कर ये सब कर रहे हो...सबसे पहले अपना ब्लॉग बनाओ और वहां से अपनी बातें सबके सामने रखो...फिर कोई वजह नहीं कि तुम पर कोई ऊंगली उठाए...लेकिन पहचान छुपा कर टिप्पणियों के माध्यम से भ्रम फैला देना, मेरी नज़र में सर्वथा अनुचित है...ये तुम भी सही मानोगे कि किसी दूसरे पर तुम्हारी वजह से आंच न आए...फिर क्यों ये कहकर कि मैं मीट मे रहूंगा और कोई मुझे पहचान भी नहीं पाएगा...इससे तो मीट में पहुंचने वाले हर शख्स को परेशानी होती अलग और विवाद को न्यौता मिल जाता अलग...तुम अपना ब्लॉग बनाओ, फिर सबसे पहले तुम्हारा स्वागत करने वाला मैं हूंगा...

    जय हिंद...

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  5. खुशदीप सहगल ji ne bilkul sahi kaha hai....

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  6. क्या मस्त भ्रमित करने वाला दो ठो फोटो(ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत वाला) लगाए हैं आप, एक पल को तो कनफुजिया गए थे फिर मजा आ गया.. :)

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  7. प्रिय/आदरणीय ज़लजला आपके प्रति लोगों की धारणाओ और प्रतिक्रियाओ कर कोई टिप्पणी नही करूंगा !

    आप अपना परिचय छुपा कर ब्लागिंग करना चाहे तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है ! यदि आप रचनात्मक लेखन करेंगे तो सभी आप का स्वागत करेंगे ! अपने विचारो को शक्ल दीजिये और आगे बढिये !
    मेरी ओर से स्वागत है !

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  8. संजीव भाई साहब आज आपने यह पोस्ट लगाकर अच्छा काम किया है. मैं आपका आभारी रहूंगा. आप छत्तीसगढ़ में रहते है यदि कभी बिजनेस के सिलसिले में उधर आना हुआ तो जरूर आऊंगा. वैसे मेरे दो-चार रिश्तेदार उस तरफ रहते हैं.
    भाईजी आप ही सोचिए क्या मैंने कोई अपराध कर दिया है. यह दुनिया कैसी है.
    जब अविनाशजी ने यह लिखा कि जलजला मौजूद रहेगा तभी तो मैं प्रोग्राम बनाकर निकला. मैं कल रात को ही दिल्ली पहुंच गया था. सुबह जो नाश्ता किया था वह ही था बस. उसके बाद से ब्लागरों से मिलने की खुशी थी और सबको यह बताने की भी जिज्ञासा थी कि जलजला मैं ही हूं... क्या इस दुनिया में कभी किसी को सच बोलने नहीं दिया जाएगा...
    जलजला तो आप सबके सामने मौजूद रहना ही चाहता था. सुनना चाहता था कि जलजला के बारे में क्या बोला जा रहा है.. यदि जलजला को लोग सकारात्मक लेते तो जलजला प्रकट हो ही जाता लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं है.
    अब मैं दिल्ली से दूर एक ढाबे में दाल-रोटी का आर्डर देकर बैठा हूं... ये लो जी दाल रोटी आ गई.खाना खाकर अपनी मंजिल की ओर निकल जाऊंगा. सम्मेलन सफल हो यही शुभकामनाएं.

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  9. lage rahe india bas isi sab me, baki aur koi mudde to hai nahi bharat me, kya khyal hai bhai logo?

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  10. ...जलजला कमजोर दिल का निकल गया !!!!

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