कृष्ण ने कहा था .... ब्‍लॉगिंग जूतमपैजार के संदर्भ में. .. ?

कृष्ण ने कहा,

'मेरा अभी एक काम शेष है। ये यदुवंशी बल-विक्रम,वीरता-शूरता और धन-संपत्ति से उन्मत्त होकर सारी पृथ्वी ग्रस लेने पर तुली हैं। यदि मैं घमंडी और उच्छृंखल यदुवंशियों का यह विशाल वंश नष्ट किए बिना चला जाऊंगा तो ये सब मर्यादाओं का उल्लंघन कर सब लोकों का संहार कर डालेंगे।'

अंत में कृष्ण के परामर्श से सब प्रभासक्षेत्र में गए। वहां मदिरा में मस्त हो एक-दूसरे से लड़ते 'यादवी' संघर्ष में वे नष्ट हो गए।

श्री वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी जी के ब्‍लॉग से साभार
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15 टिप्पणियाँ:

  1. यादवी संघर्ष में नष्ट होना ही है
    प्रभासक्षेत्र में नही तो कुरुक्षेत्र में

    नाईस

    जोहार ले

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  2. जय हो!! प्रवचन चालू रखे जायें. जोहार ले :)

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  3. संजीव जी। पोस्ट अच्छी है, लेकिन कहना चाहूंगा कि लाल, पीला और न जाने कौन कौन से रंग भर दिए हैं वो आंखों में चुभ रहे हैं। पढऩे में काफी दिक्कत हुई। हो सके तो उसे रंग एेसा कर दें जो आंखों को इस भीषण गर्मी में शीतलता प्रदान करे।
    http://udbhavna.blogspot.com/

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  6. देखना ये है कि इन्हें प्रभास क्षेत्र ( आभास क्षेत्र ) कितने दिन में .... : )

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  7. इस कुरुक्षेत्र में यादवों के अलावा और भी तो हैं?

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  8. कृ्ष्ण अब उस अन्तिम कार्य निष्पत्ति के आखिरी पडाव पर पहुँच गए लगते हैं :-)

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  9. bhai sahab, shivaji sawant ka Mrutyunjay na sahi lekin is mudde par Yugandhar padhna hi chahiye ki kaise sara yaduvansh samaapt hua aur kaun bacha......

    baki agar lekhak ki baat karu to unke tino upanyas Mrutyunjay, chhaava aur Yugandhar tino hi apne samay ke dastavej kahlayenge, ultimate....

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  11. @ दादाजी
    क्षमा करें श्रीमान आपकी टिप्‍पणी मेरे टिप्‍पणीकर्ता पर व्‍यक्तिगत आक्षेप वाली थी इसलिए हटा दिया, अनुरोध है कि आप उन्‍हें उनके ब्‍लॉग में जाकर टिप्‍पणी दीजिए.

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  12. prstuti he nye andaaz ke liyen bdhaai. akhtar khan akela kota rajsthan

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  13. यदुवंश का नाश तो दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण हुआ था। यहाँ किसने शाप दिया है?

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