'मैं भी कहूँगा कि उनकी यह पोस्ट निहायत ही गैरज़रूरी थी' मैं नहीं कोई गुमनाम ब्लॉगर जिनके ब्लॉग का नाम ही हिन्दी ब्लॉगजगत है, ने ताजा ज्ञानदत्त जी के पोस्ट पर उठे हिन्दी ब्लॉग भूचाल के संदर्भ में कहा है। उन्होंनें आगे कहा है 'उनसे गलती हुई जो वे यह कह बैठे. गलती सभी करते हैं और गलतियाँ करना कोई अपराध नहीं है. वे नहीं जानते थे कि उनकी इस कदर मट्टी पलीद की जाएगी.' उनके उस पोस्ट की कुछ और झलकिंयां देखें -
'एक साहब लिखते हैं कि ज्ञानदत्त जी के पास अब विषयों की कमी हो गयी है. अब आप यह तय करेंगे कि किसकी ट्यूब में कितनी हवा बची है? आपने खुद आज तक कितनी यादगार पोस्टें लिखीं हैं? कान में हैडफोन लगाकर अपने-अपनों को रेवड़ी बांटना ही शोभा देता है आपको.'
'उनका विरोध इस हद तक है कि कुछ को उनके चेहरे तक से एलर्जी है. कैसे आप किसी की फोटो, मुखमुद्रा, भाव-भंगिमा का मजाक उड़ा सकते हैं. किसने आपको यह हक दिया है? कौन मानसिक दीवालियापन दिखा रहा है? आप या ज्ञानदत्त जी?'
'ब्लौग जगत के स्वार्थी राजकुमारों, ढपोरशंखों, और घटोत्कचों - कुछ ऐसा करो जिससे तुम्हें भी अच्छा लिखना और तुलनात्मक आलोचना करना आये और सभी तुम्हारे लिखे को सराहें. अच्छा लिखोगे तो चर्चा भी होगी, टिप्पणियां भी आयेंगी. ज्ञानदत्त जी का नाम लेखर ही तुम लोगों ने अपने कैरियर की सबसे महत्वपूर्ण पोस्ट तो लिख ही ली है. अब हिंदी ब्लौगिंग के इतने सम्माननीय ब्लौगर पर कीचड मत उछालो. तुम लोगों जैसी थू-थू करती पोस्टें लिखने के लिए मुझे तो सचमुच बहुत जाहिल और नाकारा ही होना पड़ेगा. जलो मत, बराबरी करो.'
ज्ञानदत्त जी की तरफ से सफाई देते हुए वे कहते हैं -
'कुछ पोस्टें केवल इसी बिंदु पर आधारित है कि ज्ञानदत्त जी ने समीर जी को नीचा दिखाया है, यही न? आप गौर से उनकी पोस्ट को पढ़ें. उसमें दो प्रतिष्ठित ब्लौगरों की ब्लौगिंग और उनकी सामाजिक छवि की बहुत कसावट भरी सकारात्मक आलोचना-तुलना है. उसमें किसी को नीचा दिखाने का भाव नहीं है. कहीं पर भी यह नहीं कहा गया है कि समीर लाल अनूप शुक्ल के सामने कुछ भी नहीं हैं. यदि एक बिंदु समीर लाल का मजबूत है तो दूसरा कमज़ोर भी है. यही बात अनूप शुक्ल के साथ भी है.'
है बातों में दम -
'असल बात जो आपको खटक रही है वह है 'ज्ञानदत्त जी की पोस्टों की उत्कृष्टता और उनकी पोस्टों की लोकप्रियता/पठनीयता' जिसको आपका लेखन कौशल सब कुछ करने पर भी छू तक नहीं सकता. जलते हैं आप ज्ञानदत्त जी से. उन जैसा लिखनेवाले से जलन होना स्वाभाविक है. मुझे तो उनके लेखन से जलन होती है.'
'समीर जी, आपकी, अनूप जी की, और ज्ञानदत्त जी की चुप्पी शालीन है पर चारों तरफ से दरबारियों और विदूषकों का शोर अभी तक सुनाई दे रहा है.'
महोदय, आप स्वयं, आपके ये त्रिदेव, 'चारो' लोक के दरबारी और विदूषक सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हो, क्योंकि त्रिदेव में आपसी तौर पर कोई मतभेद है ही नहीं, एक सामान्य ब्लॉगर को इन सबसे कोई लेना देना ही नहीं कि कौन ब्रह्मा कौन विष्णु और कौन महेश और कौन देवाधिदेव.
रही बात मेरी तो मैं ज्ञानदत्त जी के ब्लॉग का फीड सब्सक्राईबर हूं, उनके पोस्टों को सब्सक्राईब इसीलिए किया कि मैं उन्हें पढ़ना पसंद करता हूं. और मेल से पढने पर टिप्पणियों को पढ़ना नहीं पड़ता. मुझे तो लगता है कि ये टिप्पणियां ही ऐसे विवादों और चाटूकारों को बढ़ाती हैं .
भाई साहब. मेरी पोस्ट पर बात करने के लिए धन्यवाद. मैंने किसी की ओर से सफाई नहीं दी है. एक अच्छे ब्लौगर का इतना बड़ा तमाशा बना दिया गया और सब बैठे देखते रहे यह मुझसे सहन नहीं हुआ इसीलिए यह पोस्ट लगाई.
ReplyDeleteकाफी संतुलित कथन..
ReplyDelete@ Hindiblog Jagat
ReplyDeleteनारायण दत्त तिवारी जी को महिलाओं के साथ यौन संबंध के मामले की भर्त्सना की जानी चाहिए
कि
राजनीति में उनके कथित पिछले कामों के लिए माफ़ कर देना चाहिए :-)
एक बुराई, सौ अच्छाईयों पर भारी रही है, रहती है और रहेगी (संभावना है)
hmm, apne aapko alag sa rakhne ki aapki koshish bahut badhiya hai bhaiya.. hona bhi yahi chahiye...
ReplyDeleteएक अपील ;)
हिंदी सेवा(राजनीति) करते रहें????????
;)
संभावनाएं कुछ भी हो सकती है।
ReplyDeleteपाबला जी ने तो बढिया बात कही है।
अरे मेरे ऊपर एक बयान आया है वह किस दत्त की तरफ से है यह समझ में नहीं आ रहा है।
ReplyDelete.....
अभी थोड़ी देर में उनकी सलाह भी आती ही होगी। हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण सलाह के लिए तैयार रहे।
ReplyDeleteकल को कोई चँद ग्राफ़, पाई चार्ट और टोकरी बह्र आँकड़ों के साथ हाज़िर हो जायेगा...
यह लीजिये सामान्य पाठकों में पोस्ट रियेक्शन का ट्रेन्ड, तो ?
तो आप अपने सिर के बाल नोचेंगे ? और मैं ?
मेरे सिर पर अब बाल ही कितने बचे हैं ?
पोस्ट पढ़ कर एक ठँडी साँस ले ली,
सबको सन्मति दे भगवान...
पगलाने से फायदा ?
सत्य बोलना चाहिए!
ReplyDeleteप्रिय बोलना चाहिए!
लेकिन झूठ प्रिय हो या अपिय
उसका तो भांडा फोड़ना ही श्रेयस्कर है!
कड़वी दवा ही ताप का नाश करती है!
@डा० अमर कुमार said...
ReplyDeleteसबको सन्मति दे भगवान
तथास्तु!
@ पाबला सर
ReplyDeleteनारायण दत्त तिवारी जी को महिलाओं के साथ यौन संबंध के मामले की भर्त्सना की जानी चाहिए
कि
राजनीति में उनके कथित पिछले कामों के लिए माफ़ कर देना चाहिए :-)
एक बुराई, सौ अच्छाईयों पर भारी रही है, रहती है और रहेगी (संभावना है)
आपकी टिफ ने इन सब आंडाओ पांडाओं की असलियत उजागर कर दी. अगर है किसी के माई के लाल मे दम? तो पाबला सर की टिफ का जवाब देदे..हम इन पांडाओं नमन करेंगे.
संजीव भाई
ReplyDeleteअल्पज्ञता के चलते कोई कमेन्ट नहीं !
बस इतना जानने की इच्छा है कि प्रविष्टि के मध्य जो 'करबद्ध' चित्र आपने लगाया है उसका आशय क्या है -
(१) अभिवादन
(२) अब बस करो यार
(३) मुझे बख्श दो
(४) ब्लॉगों का पिंड छोड़ो फिर झगड़ो
(५) भूल हुई क्षमा करो
(6) तेरे हाथ जोड़ता हूँ
(७) तटस्थता का अपराध बोध
(८) विवाद पर तालियों का स्थिर चित्र
(९) खलवंदन
(१०) नेता नुमा प्रेमांजलि
(११) ब्लागर्स के लिये नमन प्राणायाम का अभ्यास ताकि कुछ समय टंकण विराम हो सके
(१२) उन तीनों के कुल दस गुट होने का प्रतीक चिन्ह
(१३) विवाद को लिखित से मौखिक में परिवर्तित करना
(१४)विवाद के दैहिक होने की संभावनाओ को समाप्त करना
(१५)अन्य विकल्प जो उचित समझिये ...
फिलहाल ...एक बैठक में इतने ही सूझे...अब चलें ज़रा रोटी पानी का जुगाड़ भी करें :)
नारायण नारायण नारायण
ReplyDeleteघोर कलजुग हे भगवन ।
बने लिखे हस महाराज
पाबला जी बने किहिस
जम्मो हां बने किहिस
ब्लाग सरपंची के चुनई हे,
जम्मो हां अपन-अपन जुगाड़ मा लगे हे।
मोर चेपटी ला झन भुलाबे ददा
सोज्झे अमरा देबे मोर दुवारी
इही एक ठीक जिनिस हवे
चुनई के चिन्हारी
जोहार ले
अच्छा चल रहा है भाई, जिसे देखो ... पड़ा है।
ReplyDeleteमस्त दुनिया है यहां की। जय हो।
Live Traffic Feed के गैजिट के कारण पोस्ट का मैटर दब गया है जी। कृप्या जांच लें। पढने में दिक्कत आ रही है।
ReplyDeleteप्रणाम
@ धन्यवाद सोहिल जी, लाईव ट्रैफिक विजेट हटा कर नीचे लगा दिया है.
ReplyDeleteचलिए यहाँ आकर ये तो फायदा हुआ कि अली जी से 'हाथ जोड़ने' के इतने सारे अर्थ पता चले.. :) शुक्रिया अली सर
ReplyDeleteaadrniy snjiv ji gzb ki prstutiyaan hen bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajasthan
ReplyDelete?
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