हम अपने ब्लॉग आरंभ में पोस्टों को मेल के द्वारा पढ़ पाने की सुविधा देने के लिए फीड बर्नर का प्रयोग कर रहे हैं। फीड बर्नर द्वारा उपलब्ध कराये गये एक विजेट को अपने ब्लॉग में लगाने से वह बतलाते रहता है कि आपके कितने मेल सब्सक्राईबर हैं। जिसके अनुसार से आरंभ में प्रकाशित प्रत्येक नया पोस्ट मेल के द्वारा 177 पाठकों तक पहुंचता है जिसमें हमारे ऐसे नियमित पाठक भी हैं जो ब्लॉग जगत से नहीं जुड़े हुए हैं। हम इस संख्या से खुश थे, किन्तु पिछले कुछ दिनों से देख रहे हैं कि टिप्पणियों के गायब होने के वाकये जैसे सब्सक्राईब पाठक संख्या भी गायब होते हुए कम से कम होते जा रही है। विजेट में सुबह यह संख्या 177 थी -
अभी देखें ... 26 ????
लगता है गूगल बाबा भारत में हो रही बारिश से भीगे हैं और उन्हें सर्दी-खांसी-मलेरिया हो गया है, इसके अतिरिक्त यदि आप सोंचते हैं कि नहीं, उन्हें लवेरिया हुआ है तो कोई उपाय बतावें.
बहरहाल बड़े भाईयों के ऐसे पोस्टों की उपादेयता पर स्नेह से चपत लगाने के बाद हमने अपने इस पोस्ट में कचरा लेबल को केटेगराईज्ड कर दिया है और पर्यावरणीय खतरों को देखते हुए अपने घुरूवा ब्लॉग के ऐसे पोस्टों का लेबल पोलीथीन कर दिया है :)
गुगल बाबा को जुकाम और छींक लग गई है..ऐसा लगता है...हमारा भी यही हाल कर देते हैं वो. :)
ReplyDeleteHamare paas to koi upay nahee hai.
ReplyDeleteओहो तभी कहूं मेरा कम्प्यूटर छींक क्यों रहा है :)
ReplyDeleteबहुत दुखी किये हैं ।
ReplyDelete@ समीर जी, ज़ाकिर भाई, अली भईया, प्रवीण जी आप सभी के दुख में मुझे भी सहभागी माने. धन्यवाद.
ReplyDeleteबाबा की महिमा बाबा ही जाने :)
ReplyDeleteआजकल मौसम ही ऐसा चल रहा है। कभी ब्लॉगवाणी बीमार हो जाती है तो कभी गूगल। हम क्या कर सकते हैं सिवा यह कहने के कि
ReplyDeleteआओ हम सब मिल संताप करें।
घुघूती बासूती
बने कस के खोखी अऊ जुड़ी धरे हवे
ReplyDeleteजम्मो हां मौसम के परभाव हे।
गरम पानी मा रम के इस्तेमाल के सलाह देवो गुगल बबा ला
त जम्मो रोग हां कट जाही।
जोहार
अब गूगल बाबा के बारे में आक्टोपस बाबा से पूछना पड़ेगा की गूगल बाबा का भविष्य आगे कैसा रहेगा.....
ReplyDeleteअब गूगल बाबा के बारे में आक्टोपस बाबा से पूछना पड़ेगा की गूगल बाबा का भविष्य आगे कैसा रहेगा.....
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