सांसे जब तक धडकती रहे,
नब्जो मे हो जब तक स्पन्दन,
तुमको कलम और आवाजो को
थामना ही होगा.
कैसे तुम कह सकती हो
शव्दो को अलविदा.
संजीव तिवारी
......
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
शुक्रिया .
ReplyDeleteकिसी की भी रचना के माध्यम से आप अपनी बात कहें ,बस अच्छी कहें ,ये ज़रूरी है .और आपने इसी तरह जो मंगलकामना की है उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
aadami.adaa,sahamat maanav sab .......accha laga.
मन बहुत विचलित रहा कल...और इसी उधेड़-बुन में लिखा गया...
ReplyDeleteई कैसी दुनिया है...कभी तो इतना प्यार-दुलार कि अंचरा में ना समाय...और कभी ऐसन दुत्कार कि जीना मुहाल....
कौन कहे ई सब आभासी है....तकलीफ तो सच में हुई...
और अभी ख़ुशी भी सच-मुच हुई...
आपका आभार मानते हैं....
आदमी, सहमत, मानव सब तो अच्छा लगा ...सच में..
achchha lagaa
ReplyDelete