छत्तीसगढ मा बरसात के मजा

भाई शैलेश नितिन त्रिवेदी जी के आरकुट गुडी म आज हमा परेंव देखेंव कि हमर दुरूग वाले मितान हीरा ह बडा बढिया गोठ बात करत हे त हम सोंचेन येला गुरतुर गोठ म छापे जाय, आपो मन देखौ, छत्तीसगढ मा बरसात के मजा (कहूं आप आरकुट म भितरियाये होहू त एला चपक के गोठ बात म सहयोग कर सकत हौ)

हीरा

छत्तीसगढ के गांव के बरसात के सात रंग

१.खुमरी

२.मोरा

३.खेत म किसान

४.भजिया अउ चटनी

५.नदिया-नरवा,तरिया म मछरी पकडना

६.पुरा बोहाथे तेमा लईका मन के नांव

७.बिरबिटटी सांप


१.ओहो-तोतो के आवाज

२.गाडा-बईला के मस्त चाल

३.पानी गिरगे ताहन स्कूल ले छुट्टी

4.गोरसी म आगी

5.धान के कोठी ले बीजा निकालना

6.रात कुन बाहिर बट्टा जाय म हाल-बेहाल

7.किसान टार्च

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1.कांटा निकाले के लोचनी

2.जादा पानी गिरदिस ताहन संझा चौंरा म ताश

3.ममादाई के रांधे मछरी साग

4.बाजार के दिन भोक्को लाडु

5.बिजली बुतागे तब ले सुत

6.फलाना गांव म बिक्कट पानी गिरेहे के आवाज

7.पानी चुहिस ताहन खपरा लहुंटाव

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1.अमटाहा साग

2.अंगरी ल चरिस केंदवा

3.भारा बांधे के डोरी बरो

4.कंडील के कांच

5.आल्हा-उदल के गान

6.सायकिल अउ चप्पल म लेटा

7.गोड म कांटा अउ हाथ म फांस

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1.खैरखाडांर म गरुवा छोंडे ल जाव

2.गाय ओइलाव

3.पहाटिया के आवाज वहिदे-वहिदे हरही

4.केंवटीन घर के चना-मुर्रा खाव

5.ममा के कान अईंठई

6.नवा-नवा लईका के स्कू नि जाय के मन

7.पुरा छुट्टी के घंटी

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1.नांगर जोतो

2.जुंडा ल खांद मे बोह के ले जाव

3.खेत ल जोंते बर हरिया धरो

4.नांगर के मुठ धरे बर सीखो

5.नवा बईला के प्रशिक्षण

6.गरी खेले बर गेंगडवा

7.गाय जमनिस ताहन सब कोइ पेंउस खाव

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भिंदोल के टेंर-टेंर के आवाज

बनिहारिन मन के गोड के थाप

रेडियो मा किसान भाई मन के गोठ

तरिया-नदिया,नरुवा कतिक भरिस कहिके लईका मन के गोठ

पानी नि गिरिस ताहन बादर डाहन ल गांव भर देखो

धान जामिस कि निहि तेला देखे ल जाव

बांवत होगे ताहन बियासि के तियारी

दीपक शर्मा-अंगना

जैसे

छानी लहुटाये के बुता

दिवार तिर के झिपारी

वोदरे हुये खोर अ‍उ मुहाटी

नवा बरसाती पनही

गरम गरम भुंजाये भुट्टा

मनमाने अकन माछी

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हीरा

निहि ग भईया बड सुर जमगे तेकर सेती कुछु-कंही लिख देंव.

१.लईका मन के घांदी-मुंदी खेल

२.हवा-पानी म छत्ता के पलटई

३.चरोटा भाजी

४.हरियर-हरियर खेत-मैदान

५.खोचका-डीपरा के भरमार

६.बखरी के टेंडा मा पानी पलोव

७.चौंरा म बबा के बिडी फुंकई

मोंट्ठा रोटी अउ रात कुन के साग

बखरी के तुमा नार

बत्तर कीरा

घर के आघु म गाडा बईला

सेमी अउ बंगाला खुला के साग

घर मे डोरी खुसर गे ताहन नींद हराम

तुतारी वाले लौठी

बिहिनिया के झडी

बिछल के चिखला मे गिरई

चिरंइया के फुल

खरेरा बाहरी म दुवार बाह्ररो

फुटु खोजे ल जाव

बबा के मन लागिस त चिला खाव

धान के पिकी फुटिस तेला देखे ल जाव

महतारी मुड म बोहे गघरा

कपडा मन ले आथे औंसाहा गंध

लईका मन के फकत भींगई अउ कपडा बलदई

रुख-राई म गाज गिरे डर

इन्द्र भगवान के नंगाडा

बिजली के नग़त चमकई

घाम पानी अउ इन्द्रधनुष


पानी गिरिस ताहन तरिया म मछरीचढई

ककुआ म नोनी मन के मूड कोरई

मुडमिंजनी माटी म बडे तरिया मे नवहई

लईका मन के गुलेल म पंडकी मरई

भूरी चांटी के लाईन धर के रेंगई

ममा दाई के मही बिलोई

लईका मन के लेवना के ठेकवा ल पलटई


आमाजूडी टटटी होगे कामा माडही.फकत स्कूल मे प्रश्न पुछई

लईका मन के गुलेल म निशाना लगई

चुल्हा मा आगी नि बरिस ताहन गुंगवई

आगी मांगे बर परोसी घर छेना धर के जात ममा दाई

ममा दाई के जांता मे पोरा तिहार बर दार दरई

दुआरी अउ मोहाटी म कांदी अउ काई

भोभला बबा के चौंरा म बईठ के गुड-चना झडई


चिरईजामुन

करिया-करिया बादर

कुकुर माकर के नरियई

नवा बहु तीजा जवई

दामांद बाबू के छटपटई

चिंया मन चरई

कबडडी खेल के हाथ-गोड पिरई

तिहार के दिन नरियर फेंकई


बांवत म कान कोडे ल जाव

सावन सम्मारी के एक जुआर के छुटटी

लईका मन के पटकीक पटका

स्कूल मा कलम चोरई

जुलाई मा स्कुल खुलई

नवा-नवा कापी किताब मे जिल्द चढ़ई

आजकाल फोकट मे किताब मिलई


घुरुवा म गोबर-कचरा डरई

कांवर म गोबर कचरा दोहरई

घेरी-बेरी चाहा पियई

काकर घर नवा बहु आथे पुछई

सिंग मा माटी अउ बईला मन के लडई

मुसवा मर गे ताहन बस्सई


दीपक शर्मा-अंगना

सावन सोमवारी के मंझन्हा छुट्टी औ झडी

बारी मा जागे हुये खेडहा के

स्कूल के छान्ही के चुहना

स्कुल ले भाग के नरवा नहाये बर जाना

पुरा मा बोहा के आये लकडी का बटोरना

डोंगा मा कुलेशर नाथ मंदिर जाना

ट्रक के छींटा मा स्कुल के युनिफ़ार्म मा दाग परना

नवा नवा कक्षा मा नवा नवा मितान अ‍उ गुरुजी

धुका चलही ता गरम गरम गोरसी औ भुंजे फ़ल्ली

डुभुल्ल बना के बाटी खेल‍इ


हिरु बिच्छ के डर

डोढीया साप

करौंदा चोराना


नाऊ दुकान के नेपकीन

गाडी वाला निकलिस ताहन कपडा लत्ता सनई

हाट बजार के चिखला

तीन दिन तक झडी

इन्द्र भगवान के धनुष

चोरिया म मछरी पकडई

लईका मन के खेत जाय बर संग धरई


शैलेश त्रिवेदी

रथिया बतरकीड़ी के भरमार

बिहनिया चारो मुड़ा ओखरे पंख

खेत के दांदर अब तोपागे

डबरा खोचका मा पानी के माढ़ना

बाउक भरभरहा हे धन लटलटहा तेखर जन्चई


दीपक शर्मा-अंगना

पानी गिरे के बाद दु दिन के घाम

घाम मा फ़ाफ़ा पकडे बर जाना

गली मा पानी के रेला बोहाना अ‍उ वोमा कागज के डॊंगा चलाना

कापी पुस्तक ला झिल्ली मा धर के स्कुल जाना फ़िले ले बचाये बर

खेत नींदे बर बनिहार न‍इ मिले के समस्या


हीरा

बरसात म होथे २१ जून सबले बडे दिन.

छत्तीस्गढ म बंगाल के खाडी कोती के वायुधारा ले होथे बरसात.

जुलाई-अगस्त मा होथे सबले जादा बरषा.

सरगुजा मा होथे सबले जादा बरषा.

छत्तीसगढ हाबे उष्ण कटिबंधीय मान्सून प्रदेश मा.
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4 टिप्पणियाँ:

  1. पहली त आप ला गाडा- गाडा, कोपरा -कोपरा,पर्रा-पर्रा बधाई !!फ़ेर आपो के मजेदार छ्त्तीसगढी कलम के इंतजार हे ये टापिक ला ॥

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  2. " atee sunder, bhut sary sadb pehle baar pdhe accha lga"

    Regards

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  3. बढ़िया !आप मन सबय छत्तीसगढिया संस्कृति भाषा के बरसाती सब्दकोश बना दलेव लागथे

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