पाछू पंद्रही ले दुरूग के घुमका गांव ह गजट अउ टीभी म छाये रहिसे काबर कि उहां के एक झिन कैना ह तरेता जुग के सयंबर के कहिनी ला कलजुग म सिरतोन करे बर परन कर डारिस । कि बिहाव करिहौं त उही बर संग जउन हा मोर सवाल के जवाब ल भरे सभा म देही । अउ जुर गे तीस हज्जार मनखे, भरे सभा म ओखर सवाल के जवाब ल देईस राणा खुज्जी गांव के घनाराम भुरकुटिया ह । अब जवाब सहीं रहिस कि गलत तउन ला तो अन्नपूर्णा च ह जानही । फेर ओला बर पसंद आगे चुन लिस अपन पसंद के बर, कर लिस सयंबर । बोलो सियाबर रामचंद्र की जय ।
'क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित यह अधम शरीरा ।' रमायेन के चउपाई ल सवाल बना के पूछे गीस उत्तर संस्कृत म मिलिस । का उत्तर दिस घनाराम भाई ह तउन ला कहूं आप मन जानत होहूं त बताहू ।
आज दूनों के समाज के नियम से बिहाव होगे ।
दूनों झन ला हमार अशीस ।
बने खावव, पहिनव अउ समाज में बगरे बिसराये लईक नियम मन के बिरोध खातिर कमर कस के अउ कछोरा भिर के आघू आवव, तभे तुंहर मान ह बने रहिही ।
नई तो चरदिनिया चंदैनी फुसक जही ।
ये संबंध म मेकराजाला म हमर छत्तीसगढ के बेटी माया ठाकुर ह घलोक अपन पतरा म लिखे हे एक नजर देख लेवव ।
(चित्र 'छत्तीसगढ से साभार)
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बने कहेव भैय्या फ़ेर येमन जादा रमायण देख डारिन तइसने लागथे !चलो इही बहाना घुमका ला अउ अन्न्पुर्णा ला सरी दुनिया जान डरीस एखर ले जादा उपलब्धी त मोला एमा नइ दिखय !
ReplyDeleteसयम्बर कलजुग के सीता-राम .........
ReplyDeleteसंजीव भाई एकर पाछू कोनो उद्येश्य दिखे नहीं... सयम्बर कारिएया नोनी जरुर ड्रामा के पाछू के बात बर कुछु अंजोर कर सकत हे....! खईता कह लव..