अइसन भुइंया के करबोन सिंगार.....

समीर यादव जी हमर छत्‍तीसगढ के बिलासपुर के रहईयां ये । यादव जी मध्‍य प्रदेश पुलिस म डीएसपी (डिपटी सुपरिंटेंडेंट आफ पुलिस) साहब हें, इंखर डिउटी अभी जबलपुर में हावय । समीर भाई छत्‍तीसगढ अउ छत्‍तीसगढी के अति परेमी ये, अपन माटी अपन भाखा के मया ला भाई हा जबलपुर में घलव गठरी बांधें धरे हे । इंखर अपन माटी के परेम ला देख के मोर अंतस गदगदा जथे ।


समीर भाई ह 'गुरतुर गोठ' के पढईया मन खातिर गीतकार बुधराम यादव के सन् 1975 में लिखे रचना ला अपन हांथ में टाईप कर के भेजे हे । समीर भाई ला कोरी कोरी बधई सहित हम ये कबिता ला इंहा देवत हंन । रचना ह पसंद आही त हमला अशीस कमेंट रूप म देहे के किरपा करहू ।

अइसन भुइंया के करबोन सिंगार.....

जिबोन एकर बर हम मर्बोन एकर बर,
औ धरबोन जनम हम हजार.....
अइसन भुइंयाँ के करबोन सिंगार,
अइसन माटी के करबोन सिंगार...

मया के कोरा मा पउढेन एकर हम
अंचरा के पायेन दुलार
चिखला माटी लागे एकर चन्दन कस
धुर्रा के महिमा अपार
सरगसुख जानव पहुँचावत हे घर-घर
एकर गंगा-जमुना के धार
अइसन भुइंया के करबोन सिंगार.....

रतिहा मोती झरे छैन्हा चदैनी
आऊ दिन मा सुरुज के अंजोर
झुमरय ये धरती सरग मुसकावे
सुन करमा ददरिया के सोर
गावत हे पोथी राम्मायन कस जस एकर
करबोन चोला पैलहे पार
अइसन भुइंया के करबोन सिंगार....

गजब दुलौरा मयारुक ये माटी के
हम संगवारी किसान
हमर सोये रतिहा होते ये धरती मा
जागे ले होते बिहान
मिहनत आछत सुघर लछमी बिराजे
हमर घर अंगना दुवार
अइसन माटी के करबोन सिंगार.........

सुघर रहिबोन सुघर कमाबोन
सुमता मा करबोन बिचार
भटके भुलाये ला रद्दा देखाबोन
धरम के दियना ला बार
संझहा बिहनिया एकर पैएयाँ पर्बोन
धन होही जनम हमार
अइसन भुइंया के करबोन सिंगार...
अइसन माटी के करबोन सिंगार....
जिबोन एकर बर हम मर्बोन एकर बर हम....!

...गीतकार बुधराम यादव के रचना
वर्ष 1975
Share on Google Plus

About 36solutions

8 टिप्पणियाँ:

  1. chhattisgarhi ke ye git aadarniya sumadhur gitkar Budhram Yadav ke dwara rache gaye havay. ye bar baat he kavi ha chhattisgarh ke Bhuiyan au Mati bar apan sanman,parem san-1975 ma soche-gune havay. ye rachna se jude sabbo jhan la mor dahar le naggat akan sadhuwad.

    ReplyDelete
  2. सबले पहिली त हमर कविता वाला थानेदार समीर भैय्या ला गाडा गाडा बधाई ये कविता बर फ़ेर एला जन जन तक पहुचाये बर करिया कोट वाला संजीव भैय्या ल आभार !! सन ७५ के कविता ला नवा सदी के नमस्कार अ‍उ कवि के उज्जर मया ला बारम बार नमन !!

    ReplyDelete
  3. गजब दुलौरा मयारुक ये माटी के
    हम संगवारी किसान
    हमर सोये रतिहा होते ये धरती मा
    जागे ले होते बिहान
    मिहनत आछत सुघर लछमी बिराजे
    हमर घर अंगना दुवार
    अइसन माटी के करबोन सिंगार.........
    "bhut sunder, acchee rachna"
    Regards

    ReplyDelete
  4. singar bhuiyan ke pdhke man tar ho gail. bhojpuri bahi ke taraf se hardik abhinandan eh kavita katir.
    bahut sundar likle bani...
    ek bar auru badhai.

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर. कभी कभी जरुरी नहीं होता कि हर रचना पर कुछ बोला ही जाए.
    ---
    उल्टा teer

    ReplyDelete
  6. कुछ लेखन सदैव अच्छे लगते हैं जैसे जननी - जन्मभूमि का बखान!

    ReplyDelete
  7. chhikla maati ekhar laage chandan kas

    ReplyDelete
  8. chhattisgarhi k maya ha mola abad sughar lages haway app sabo mankhe man la jai johar

    ReplyDelete

.............

संगी-साथी