कितने ज़ख़्म दिये हैं तूने
कितने ज़ख़्म सहे हैं मैंने
मैं जल्दी भूल जाना चाहता हूँ
बस
याद रखना चाहता हूँ
मरहम लगाने वालो को
क्योंकि
उन्हीं के सहारे
तो, जी रहा हूँ मैं.
संजीव तिवारी
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याद रखना चाहता हूँ
ReplyDeleteमरहम लगाने वालो को
क्योंकि
उन्हीं के सहारे
तो, जी रहा हूँ मैं.
छोटी मगर सम्पूर्ण रचना
पूरे भाव को व्यक्त करने में सफल