गुरतुर गोठ : छत्तीसगढी पाठक सुझाव देवें

छत्‍तीसगढ हा राज बनगे अउ हमर भाखा ला घलव मान मिलगे संगे संग हमर राज सरकार ह हमर भाखा के बढोतरी खातिर राज भाखा आयोग बना के बइठा दिस अउ हमर भाखा के उन्‍नति बर नवां रद्दा खोल दिस । अब आघू हमर भाखा हा विकास करही, येखर खातिर हम सब मन ला जुर मिल के प्रयास करे ल परही । भाखा के विकास से हमर छत्‍तीसगढी साहित्‍य, संस्‍कृति अउ लोककला के गियान ह बढही अउ सबे के मन म ‘अपन चेतना’ के जागरन होही । हमला ये बारे म गुने ला परही, काबर कि हम अपन भाखा के परयोग बर सुरू ले हीन भावना ला गठरी कस धरे हावन । हमला अपन भाखा बर हीन भावना ला छोड के अपन भाखा के परयोग जादा ले जादा करना हे । ये हा तभे हो पाही जब हम अपन साहित्‍य ला जादा ले जादा पढबो, अपन छत्‍तीसगढ के बारे म जानबो अउ हमर गांव गंवई ले जुडे रहिबोन । अइसे कर के हम सही मायने म अपन भाखा ल अउ अपन आप ला सम्‍मान दे पाबो । तभे ‘जय छत्‍तीसगढ’ के नारा ला अंतस ले पार सकबोन ।

छत्‍तीसगढ ला अपन भाखा म पढे बर हमर साहित्‍य भंडार ह भरपूर हे । फेर ये भंडार ह जन जन के पहुंच ले दूरिहा हावय । हम अपन भाखा के इही साहित्‍य भंडार के कुछ बूंद ला इंटरनेट के सहारा ‘गुरतुर गोठ’ म प्रस्‍तुत करना चाहत हन । इंटरनेट म छत्‍तीसगढी भाखा के विकास के संबंध म जब हम बात करथन त सबले पहिली जउन प्रस्‍न हमर आघू खडा होथे कि इंहां इंटरनेट के परयोग करईया कतका हे जउन येमा हमर भाखा के विकास के बारे म गुने जाय ? फेर जब आरकुट अउ दूसर चौपाल मन म छत्‍तीसगढ के संगी मन के दिनो दिन बढत संख्‍या ला नजर डारे ले पता चलथे कि इंटरनेट उपयोग करईया छत्‍तीसगढिया परेमी मन के कमी नई हे । ये चौपाल मन म चौपाल चलईया भाई मन के प्रयास से सबे छत्‍तीसगढिया मन ह अपन भाखा, साहित्‍य, संस्‍कृति अउ लोककला के बारे म सुघ्‍घर गोठ बात करत नजर आथे । हमला ये परेमी मन ला हमर भाखा अउ हमर प्रदेश के मान ला अइसनहे जनवाना हे अउ हमर छत्‍तीसगढ के मान ला बढाना हे ।

हमर ये प्रयास आप सब के सहयोग ले ही सफल हो पाही काबर कि विकास चाहे आदमी के होवय या समाज के, सब लोगन के आपस में जुर मिल के, सुंता ले, अपन अपन अनुभव अउ विचार ला एकदूसर ले बांटे ले ही धीरे धीरे संभव हो पाथे । हमर अकेला के सुन्‍दर ले सुन्‍दर सोंच, चिंतन कतको उंचा दरजा के काबर नई होवय, वो ह समाज के विकास बर रद्दा नइ गढ सकय । तेखर सेती ये जरूरी हे कि हम सबो मन जुर मिल के हमर भाखा, साहित्‍य अउ संस्‍कृति व लोककला के जानकारी बर सामूहिक चितन करन, कि अभी के समे में कोन कोन विसय ला ‘गुरतुर गोठ’ म नियमित प्रस्‍तुत करे जाय ।

हम ‘गुरतुर गोठ’ ला इंटरनेट पत्रिका जईसे प्रस्‍तुत करना चाहत हन, जउन ह हर पंद्रही म प्रकासित होही । अब येमा पहिली अंक देवी बैठका नवरात्री के दिन प्रस्‍तुत होही । जेमा छत्‍तीसगढी भाखा के 5 से 10 कविता/गीत, 1 कहिनी, 1 बियंग, 1 से 3 सामयिक लेख, 1 से 2 पुस्‍तक/पत्रिका/फिल्‍म/एलबम/सीडी समीछा, 1 काटून एक एक कर के एक दिन म या पांच दिन म प्रकासित होही । अंतरजाल जगत म उपस्थित जम्‍मे छत्‍तीसगढी रचनाकार ले हमर अनुरोध हे कि हमर संग जुरव अउ नियमित रूप से येमा लिख के छत्‍तीसगढ के मान बढावंव ।

गुरतुर गोठ
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5 टिप्पणियाँ:

  1. संजीव भाई ..!

    "गुरतुर गोठ" के बाना धरईया सबे संगी मन डहर ले
    मोर जोहार पहुंचे..

    मै chhattisgadi मा अपन बिचार लिखे के परयास करत हंव..
    ये भाखा मा अभिव्यक्ति थोरुक कमतरी से हो सकत हे काबर
    के ज्ञान अउ अभ्यास दुनो के कमी हे...

    'गुरतुर गोठ' मा आपके तरफ़ ले आज प्रकाशित होय लेख मोर बिचार से अउ
    पहली आ जाना रहिस. मोर ये सोचना हावय कि यदि हम कोई सार्वजनिक हित
    बर कारज शुरू करना चाहत हन ता वो सबले पहली मूर्त रूप से मन मा आए
    के बाद उन सब सुधि जन के बीच जरुर पहुँचाना चाही, जौन मन एखर अभिन
    संगी बन सकत हवय , फेर उखर बीच जाना चाही जौन मन के प्रभावित समूह
    बने के आसा-बिसवास हवय.

    चलव कउनो बात नहीं , सबे काम सही अउ खचित समय मा हो जाए ता फेर
    मिहनत, धैर्य अउ विवेक के महातम घाट नई जाही...

    संजीव भाई, आपमान ये लेख के माध्यम से गुरतुर गोठ के उद्येश्य ला बयान
    कर दियो हव ..यही परयास मै आपके समे-समे मा मोला मिलने वाला सनेह
    रस मा बुडे मेल ला "सखी" मा पोस्ट करके करत रहेंव. आवाहन तो सबे
    भाई मन बर हवे ...अब येखर प्रतिक्रिया बर घलव रस्ता जोहत आँखी झन पथराये..

    बाना धरईया संगी मन संजीव भाई ...के दू आखर कहे बात के वजन ला समझहि
    ऐसन बिसवास....अउ सरधा संग.....

    बने काम बर खूब सम्मत अउ सुजान जुरे के कामना संग...

    समीर.

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  2. बधाई !
    अपन भाखा बोली म अपन परिवार माँ बात कराय म जौन सुख हवे ओकर बखान कैसन करन. हमर नॉन चुन राज्य बने अभी जियादा दिन नई होय हे राज भाखा के दर्जा भी मिल गिस पर ..अपन बोली के मिठास नन्दाय सही लागथे काबर की नेता मन झूल झूल के चुनाव का बखत म भाषण ऐसे देही जैसे की उन्कर बाप दादा मन के पुरखौती आय, दूकान म सेठ हा ग्राहक सन औ ठेकेदार मन मजदुर मन सन मीठ मीठ बोल के भुरुयात रही औ पाछू म देहाती कहिके गारी देही ..छत्तीसगढ़ म जौन लईका हा छत्‍तीसगढी म गोठ बात करथे ओला निच्चट देहाती समझते काबर ? काबर की ओला उलट के जवाब देवैया कोई नई हे नेते इन्हाचे के दानापानी खा के वीही मन ला गारी देही ....हिकारत से देखही .....जब तक हम हाँ शोषन करिया मन बा आवाज नई उठान तब तक हमर भाखा हा अपन सम्मान ला नई पा सकय ....हमर गाँव देहात म ,शहर परिवार संगी संगवारी मन के बीच म बोली के सम्मान खातीर अपन संस्कृति का उत्थान खातीर काम करय बर लागही कोण हा बोली के उपयोग ठगे बर करत हवे ओकर पहिचान करे बर लागही तभी हम बोली के साथ साथ अपन सम्मान ला बचा पाबो ......मेहर आशा कर्थोऊ आप के पत्रिका छत्‍तीसगढी भाखा के सम्मान ला बचाय खातीर इन्हा के लोग बैग मन के पीडा ला घलो उजागर करय बर आगू रही

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  3. बहुत अच्छा प्रयास है। वेबसाइट देखने में सुंदर है। मैं छत्तीसगढ़ी नहीं हूं, लेकिन ठीक से समझ पा रहा हूं। आपको बहुत-बहुत बधाई

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  4. mahraj paay lagi sable pahili mai ye dabba ma kaise aaye jathe kaise likhe jaathe yela mai nai janat rahewn. ema chhattisgarhi me kabar nai likhawat he ji. aapke ye vichar katka sugghar he
    ekhar bakhan nai kare ja sakai.

    bhai, apan bhuiyan apan mahtari
    ihi bakha ma rengbo ihi ma
    daudbo, ihi ma khabo ihi ma
    nahabo, au karbo ihi ma biyari
    duniya la dekha debe ke haman
    nohan nipat ganwar, ab karbo
    ihi ma dosti yarri.

    theek he ke nahi.

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