बायोडाटा
नाम : मनोहर दास मानिकपुरी
पिता : स्व. ननकी दास मानिकपुरी
शिक्षा : स्नातक
जन्मतिथि : 07-01-1959
जन्मस्थान : ग्राम - भुन्डा,जिला बिलासपुर (छ.ग.)
रूचि/विशेषता : छत्तीसगढ़ी गीतों एवं पारम्परिक
लोक गीतों का गायन
सम्मान : बिलासा कला मंच,सजातीय समाज,
स्वयं के संस्था(ग्रामीण बैंक) एवं अनेक
सांस्कृसतिक व साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मान।
मंचन/प्रर्दशन : 1.आकाशवाणी एंव दूरर्दशन से
गीतों का प्रसारण
2.बिलासा महोत्सव बिलासपुर में प्रस्तुति
3.मल्हार महोत्सव में प्रस्तुति
4.भिलाई लोककला महोत्सव में प्रस्तुति
5.चक्रधर समारोह (गणेशोत्सव) रायगढ़ में प्रस्तुति
6.अनेक स्थानो पर मंचन प्रस्तुति
उपलब्धियाँ :
1.आडियो कैसेट ”बटकी म बासी चूटकी म नून''
2.आडियो कैसेट संस्था (ग्रामीण बैंक) के लिए रचित एंव गाये गीतों का संस्था द्वारा ही ध्वनियांकित
प्रकाशन : छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह “ मोर गँवई गॉंव”
सम्प्रति : कैशयर “ छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक ”
संपर्क सूत्र : मनोहर दास मानिकपुरी
द्वारा कौशल्या कुँज, नेशनल कानवेंट स्कूल के पास,
रेल्वे लाइन के किनारे, भारतीय नगर,
बिलासपुर (छ.ग.) पिन - 495001
दूरभाष - (07752) 247743
मोबाइल - 097553-89955
छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया,
मोर नीक मीठ बोली, जनम के मैं सिधवा।
छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया।
कोर कपट ह का चीज ये,नइ जानौ संगी,
चाहे मिलै धोखाबाज, चाहे लंद फंदी।
गंगा कस पबरित हे, मन ह मोर भइया,
पीठ पीछू गारी देवैं,या कोनो लड़वइया।
एक बचन, एक बोली बात के रखइया,
छत्तीसगढ़ के रहइया, कहिथें छत्तीसगढ़िया।
देख के आने के पीरा, सोग लगथे मोला,
जना जाथे ये हर जइसे झांझ झोला।
फूल ले कोवर संगी, मोर करेजा हावै,
मुरझाथे जल्दी, अति ह न सहावै।
जहर महुरा कस एला, हंस हंस पियइया,
छत्तीसगढ़ के रहइया, कहिथें छत्तीसगढ़िया।
मोर बर रहय, न रहय, करन कस हौ दानी,
दान पुन धरम - करम करत जिनगानी।
माने म मैं देवता, बिफडेव़ तौ फेर नागिन,
धोखा म झन रइहीं, आघूले नइ लागिन।
करतब के मैं पूजा, दिन - रात के करइया,
छत्तीसगढ़ के रहइया, कहिथें छत्तीसगढ़िया।
रचना - मनोहर दास मानिकपुरी
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संजीव भाई ...ईश्वर आपकी निश्छल मन से की
ReplyDeleteजा रही सेवा का अवश्य सुफल प्रदान करेंगे...
आपको साधुवाद और मानिकपुरी जी को अच्छी रचना के
लिए एवम प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाइयाँ....!
वैसे पोस्ट कमेन्ट भी chhattisgarhi में होना चाहिए
क्षमा चाहूँगा..
इतनी ज्यादा छत्तीसगढी तो आती नहीं मगर फिर भी जो समझे अच्छा लगा.
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